खाद्य पदार्थों के विज्ञापन बच्चों के लिए हानिकारक, बनाया जाए कानून : डब्ल्यूएचओ

खाद्य पदार्थों के विज्ञापन बच्चों के लिए हानिकारक, बनाया जाए कानून  : डब्ल्यूएचओ

खाद्य पदार्थों के विज्ञापन बच्चों के लिए घातक साबित हो रहे हैं। यह बात 2009 से अब तक बच्चों के खाद्य विज्ञापन को लेकर हुए 200 चिकित्सा अध्ययनों में सामने आई है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने यह जानकारी नए दिशा-निर्देशों में दी है, जिसे बीती तीन जुलाई को भारत सहित सभी सदस्य देशों के साथ साझा किया है। इन दिशा-निर्देशों को तैयार करने के लिए डब्ल्यूएचओ ने अलग-अलग देशों के 35 विशेषज्ञों की एक संयुक्त टीम बनाई, जिसकी सिफारिशों के आधार पर बच्चों को हानिकारक प्रभाव से बचाने के लिए नए सिरे से नीतियां तय की गई हैं। साथ ही कहा है कि इन विज्ञापनों को कानून के दायरे में लाया जाए।

अधिक फैटी एसिड, शर्करा और नमक वाले पदार्थों से बचें
वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ और न्यूट्रिशन एडवोकेसी इन पब्लिक इंटरेस्ट (एनएपीआई) के संयोजक डॉ. अरुण गुप्ता के मुताबिक, भारत में कई दशक से बच्चे कुपोषण, मोटापा, एनीमिया और बौनापन जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। दुनिया में हर साल सबसे ज्यादा समय पूर्व बच्चों का जन्म भारत में हो रहा है। सभी उम्र के बच्चों को उन खाद्य पदार्थों से बचाया जाना चाहिए, जिनमें फैटी एसिड, ट्रांस-फैटी एसिड, शर्करा या नमक की मात्रा अधिक होती है।

खरीदते समय नहीं देते ध्यान
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, सबसे ज्यादा मार्केटिंग फास्ट फूड, चीनी-मीठा पेय पदार्थ, चॉकलेट, नमकीन और मिठाइयों की होती है। अधिकांश बच्चे या फिर उनके माता-पिता इन खाद्य पदार्थों को खरीदते समय कुछ लोग खाद्य पदार्थ की कीमत, एक्सपायरी डेट की जांच करते हैं, लेकिन उक्त पदार्थ को बनाने में किन किन चीजों का कितना इस्तेमाल किया है इसके बारे में बहुत कम लोग ही जानकारी रखते हैं।

सरकार बना रही है मसौदा
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण की ओर से कई मानक बनाए गए हैं। इसके अलावा सरकार मसौदा नियमों पर काम कर रही है। इसका उपयोग चेतावनी और विपणन प्रतिबंध दोनों के लिए किया जा सकता है।

  1. डब्ल्यूएचओ की सिफारिशें
  2. सभी देश खाद्य पदार्थों और गैर-अल्कोहल पेय पदार्थों को परिभाषित करें। ऐसा करने से ये सभी नियमों के दायरे में आएंगे और उत्पादों की जिम्मेदारियां भी तय होंगी।
  3. सरकारों को जल्द से जल्द प्रतिबंधित किए जाने वाले खाद्य पदार्थों के लिए प्रोफाइल मॉडल लागू करना चाहिए।
  4. बच्चों को आकर्षित करने वाले कार्टून या तकनीक के उपयोग को सीमित करना चाहिए। कई कंपनियां विज्ञापनों में खिलौने, गाने और सेलिब्रिटी का समर्थन दिखाती हैं।
  5. कई कंपनियां इम्यूनिटी बूस्टर, बौद्धिक विकास, शारीरिक विकास का तर्क देते हुए अपना उत्पाद बेचती हैं, जबकि उनके पास वैज्ञानिक तथ्य नहीं होते हैं।
  6. कई बार टीवी पर डॉक्टर का एप्रेन पहने अभिनेता उत्पाद को बेहतर बताता है, लेकिन असल में ऐसा होता नहीं है। इस तरह के विज्ञापनों के खिलाफ सरकार को नीतियां लागू करना चाहिए।

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